[ad_1]
राम जन्मभूमि अयोध्या में बने रामलला के भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह 22 जनवरी 2024 को होने वाला है. हम सभी जानते हैं कि, कोर्ट में कितने साल यह मामला रुका हुआ था. हमारे कई आचार्यों ने भी न्यायालय के सामने राम जन्मभूमि से जुड़े साक्ष्य रखे थे. लेकिन फिर भी फैसला राम मंदिर के पक्ष में आने में वर्षों लग गए. आज हम आपको राम जन्मभूमि और सरयू का शास्त्रीय प्रमाण बताएंगे जोकि हमारे प्राचीन शास्त्रों में वर्णित है-
स्कंद पुराण (वैष्णव खंड, अयोध्या माहात्म्य अध्याय 1) के अनुसार, अयोध्या सरयू के तटपर बसी है. वह दिव्य पुरी परम शोभा से युक्त है. प्रायः बहुत-से तपस्वी महात्मा उसके भीतर निवास करते हैं. जिस पुरी में सूर्य–वंशी इक्ष्वाकु आदि सब राजा प्रजापालन में तत्पर रहेंगे, जिसके किनारे मानसरोवर से निकली हुई पुण्य सरयू नाम वाली नदी सदा सुशोभित रहेगी और उसके तटपर भंवरों के गुंजन एवं पक्षियों के कलरव होते रहते हैं. भगवान विष्णु के दाहिने चरण के अंगूठे से गंगाजी और बायें चरण के अंगूठे से शुभकारिणी सरयूजी निकली हैं. इसलिए ये दोनों नदियां परम पवित्र तथा सम्पूर्ण देवताओं से वन्दित हैं. इनमें स्नान करने मात्र से मनुष्य ब्रह्महत्या पाप का नाश कर डालता हैं.
ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के योग से सुशोभित है ‘अयोध्या’
अकार (अ) कहते हैं ब्रह्मा को, यकार (य) विष्णु का नाम है और धकार (ध) रुद्र स्वरूप है, इन सबके योग से ‘अयोध्या’ नाम शोभित होता है. समस्त उप पातकों के साथ ब्रह्महत्या आदि महापातक इस पुरी से युद्ध नहीं कर सकते, इसलिए इसे ‘अयोध्या’ कहते हैं. यह भगवान विष्णु की आदिपुरी है और विष्णु के सुदर्शन–चक्र पर स्थित है. अतएव पृथ्वी पर अतिशय पुण्यदायिनी है. इस पुरी की महिमा का वर्णन कौन कर सकता है, जहां साक्षात भगवान विष्णु आदरपूर्वक निवास करते हैं.
सहस्त्रधारा-तीर्थ से पूर्व दिशा में एक योजन तक और सम नामक स्थान से पश्चिम दिशा में एक योजन तक, सरयूतट से दक्षिण दिशा में एक योजन तक और तमसा से उत्तर दिशा में एक योजन तक इस अयोध्या क्षेत्र की स्थिति हैं. अयोध्या मछली के आकार वाली बतलायी गयी है. पश्चिम दिशा में गो-प्रतारतीर्थ से लेकर असीतीर्थ पर्यन्त इसका मस्तक है, पूर्व दिशा में इसका पुच्छ भाग हैं और दक्षिण एवं उत्तर दिशा में इसका मध्यम भाग है.
कुछ साक्ष्य आपके समक्ष प्रस्तुत करते हैं, जो स्कंद पुराण एवं जनश्रुति में वर्णित तीर्थ और आज के वर्तमान तीर्थ दोनों एक दूसरे से मेल खाते हैं.
शास्त्रों में वर्णित राम जन्मभूमि का प्रमाण |
स्कंद पुराण वैष्णव खंड, अयोध्या महात्म्य अध्याय 1-10 से प्राचीन अयोध्या के तीर्थ का वर्णन | वर्तमान समय में अयोध्या का स्थान इसी दिशा में, बिल्कुल मेल खाता है |
लक्ष्मण आदि-शेष, दिव्य नाग में विलीन हो गए | शेषावतार मंदिर |
विष्णु-हरि के पश्चिम में चक्र-हरि हैं. | यात्रा मानचित्र पर चक्र-हरि |
चक्र-हरि के निकट गुप्त-हरि हैं. गुप्त-हरि से 3 योजन पश्चिम में सरयू और घरघरा का संगम है. | गुप्तार घाट, और शारदा और घग्गर नदियों का संगम |
स्वर्ग द्वार से भगवान राम का स्वर्गारोहण | स्वर्गद्वार घाट |
देवी चुडकी मंदिर के पूर्व में महारत्न तीर्थ है | मणि पर्वत, जिसका अर्थ है पन्ने का पर्वत |
चक्र तीर्थ और विष्णुहरि | चक्र तीर्थ घाट |
चक्र तीर्थ के पूर्व में ब्रह्म कुण्ड है | ब्रह्म-कुंड गुरुद्वारा |
ब्रह्म कुण्ड का ईशान कोण ऋणमोचन है | ऋणमोचन घाट |
ऋणमोचन के निकट पापमोचन घाट है | पापमोचना घाट पास में |
पापमोचन के पूर्व में सहस्रधारा या लक्ष्मण तीर्थ है | लक्ष्मण घाट |
पूर्वी तरफ तपोनिधि तीर्थ है, फिर इसके पश्चिम में हनुमत कुंड है, फिर आगे पश्चिम में विभीषण सरस (तालाब) है. | हनुमत गढ़ी मंदिर; विभीषण कुंड |
नंदीग्राम में भरत कुंड सहित तमसा नदी के पास कई तीर्थ | नंदीग्राम के पास भरत-कुंड |
स्वर्ग द्वार के पास चंद्रहरि है, इसके दक्षिण-पूर्व में धर्महरि है, इसके दक्षिण में स्वर्ण-खानी है और इसके दक्षिण में सरयू और तिलोदकी का संगम है. | चंद्रहरि स्वर्गद्वार के पास है, और वहां सरयू नदी और गूगल मैप पर एक छोटी सी जलधारा का संगम है |
इस संगम के पश्चिम में सीता कुंड है | सीता-कुंड, विद्या-कुंड और मणि पर्वत के पूर्व में |
दुग्धेश्वर महादेव मंदिर | दुर्गेश्वर महादेव मंदिर |
सीता कुंड के उत्तर पश्चिम में क्षीरोदक है जहां दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया था | दशरथ महल |
कुसुमयुध कुंड के पश्चिम में मंत्रेश्वर शिव लिंग मंदिर है | भगवान शिव का मंदिर |
दुर्भरा के उत्तर पूर्व में महाविद्या कुंड है | यात्रा मानचित्र पर विद्या कुंड |
ये भी पढ़ें: Ayodhya Sarayu Nadi: श्रीराम के जन्म से वनगमन और बैकुंठ गमन की साक्षी है ‘सरयू’, जानिए इसका रोचक इतिहास और रहस्य
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]
[ad_2]
Source link