एक बार में बहुत सारा पानी पी जाते हैं तो हो जाएं सावधान, हो सकता है वॉटर इनटॉक्सिकेशन

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पानी शरीर की जरूरत है. इसकी कमी होने से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए डॉक्टर हर दिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं. हालांकि, बहुत ज्यादा पानी पीने से भी बचना चाहिए. एक साथ ढेर सारा पानी पीना खतरनाक है. पिछले साल अगस्त में ही ज्यादा पानी पीने से एक महिला की मौत हो गई थी.

पानी शरीर की जरूरत है. इसकी कमी होने से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए डॉक्टर हर दिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं. हालांकि, बहुत ज्यादा पानी पीने से भी बचना चाहिए. एक साथ ढेर सारा पानी पीना खतरनाक है. पिछले साल अगस्त में ही ज्यादा पानी पीने से एक महिला की मौत हो गई थी.

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमेशा शरीर की जरूरत के हिसाब से ही पानी पीना चाहिए. कम या ज्यादा पानी पीना सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है. जानिए ज्यादा पानी पीने यानी वॉटर इनटॉक्सिकेशन (Water Intoxication) से क्या हो सकता है...

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमेशा शरीर की जरूरत के हिसाब से ही पानी पीना चाहिए. कम या ज्यादा पानी पीना सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है. जानिए ज्यादा पानी पीने यानी वॉटर इनटॉक्सिकेशन (Water Intoxication) से क्या हो सकता है…

बहुत ज्यादा खेलने या इंटेंस ट्रेनिंग के दौरान ज्यादा पानी पीने को वाटर इंटॉक्सिकेशन कहते हैं. इसकी वजह से कंफ्यूजन, सिरदर्द, मतली और उल्टी हो सकते हैं. दुर्लभ मामलों में वाटर दिमाग में सूजन का कारण बनता है, जो खतरनाक हो सकता है. इसकी वजह से ब्रेन फंक्शन बाधित हो सकता है.

बहुत ज्यादा खेलने या इंटेंस ट्रेनिंग के दौरान ज्यादा पानी पीने को वाटर इंटॉक्सिकेशन कहते हैं. इसकी वजह से कंफ्यूजन, सिरदर्द, मतली और उल्टी हो सकते हैं. दुर्लभ मामलों में वाटर दिमाग में सूजन का कारण बनता है, जो खतरनाक हो सकता है. इसकी वजह से ब्रेन फंक्शन बाधित हो सकता है.

इससे खून में पानी की मात्रा बढ़ सकती है. जिससे ब्लड में इलेक्ट्रोलाइट्स हो सकता है, यानी सोडियम पतला हो सकता है. इस समस्या को हाइपोनेट्रेमिया कहा जाता है.

इससे खून में पानी की मात्रा बढ़ सकती है. जिससे ब्लड में इलेक्ट्रोलाइट्स हो सकता है, यानी सोडियम पतला हो सकता है. इस समस्या को हाइपोनेट्रेमिया कहा जाता है.

शरीर सही ढंग से काम करे, इसके लिए पानी की जरूरत होती है लेकिन अगर पानी ज्यादा पी लिया जाए तो समस्या भी बढ़ सकती है. दरअसल, हमारी किडनी हर घंटे सिर्फ 0.8 से 1.0 लीटर पानी ही शरीर से बाहर निकाल सकती है. जब बहुत सारा पानी एक साथ पीते हैं तो इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बिगड़ सकता है.

शरीर सही ढंग से काम करे, इसके लिए पानी की जरूरत होती है लेकिन अगर पानी ज्यादा पी लिया जाए तो समस्या भी बढ़ सकती है. दरअसल, हमारी किडनी हर घंटे सिर्फ 0.8 से 1.0 लीटर पानी ही शरीर से बाहर निकाल सकती है. जब बहुत सारा पानी एक साथ पीते हैं तो इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बिगड़ सकता है.

सोडियम का काम कोशिकाओं में अंदर-बाहर तरल पदार्थों का बैलेंस बनाना होता है. जब बहुत ज्यादा पानी पीते हैं तो सोडियम का लेवल गिर जाता है और तरल पदार्थ कोशिकाओं के अंदर चले जात हैं, जिससे सूजन आ जाती है. जब मस्तिष्क कोशिकाओं के साथ ऐसा करता है तो यह जानलेवा हो सकता है.

सोडियम का काम कोशिकाओं में अंदर-बाहर तरल पदार्थों का बैलेंस बनाना होता है. जब बहुत ज्यादा पानी पीते हैं तो सोडियम का लेवल गिर जाता है और तरल पदार्थ कोशिकाओं के अंदर चले जात हैं, जिससे सूजन आ जाती है. जब मस्तिष्क कोशिकाओं के साथ ऐसा करता है तो यह जानलेवा हो सकता है.

वाटर इंटॉक्सिकेशन की वजह से सुस्ती, मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन, हाई ब्लड प्रेशर, डबल विजन, सांस में दिक्कत हो सकती है. मस्तिष्क में तरल पदार्थ के जमा होना सेरेब्रल एडिमा कहलाता है, जो मस्तिष्क तंत्र को प्रभावित कर सकता है. कई गंभीर मामलों में यह दौरे, मस्तिष्क क्षति, कोमा और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकता है.

वाटर इंटॉक्सिकेशन की वजह से सुस्ती, मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन, हाई ब्लड प्रेशर, डबल विजन, सांस में दिक्कत हो सकती है. मस्तिष्क में तरल पदार्थ के जमा होना सेरेब्रल एडिमा कहलाता है, जो मस्तिष्क तंत्र को प्रभावित कर सकता है. कई गंभीर मामलों में यह दौरे, मस्तिष्क क्षति, कोमा और यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकता है.

Published at : 05 Apr 2024 06:25 PM (IST)

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