इस खूबसूरत पहाड़ी राज्य में बाहरी लोग नहीं खरीद सकेंगे जमीन, सरकार ने उठाया बड़ा कदम

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Land Reform: पहाड़ी राज्यों के निवासियों की विषम जिंदगी के चलते लगातार उन्हें विशेष दर्जा देने की मांग चलती रहती है. इसके साथ ही वहां की संस्कृति, रहन-सहन और खान-पान और जमीन को बचाने के प्रयास भी लगातार चलते रहते हैं. अब उत्तराखंड सरकार ने पहाड़ों की जमीन बचाने के लिए राज्य के निवासियों के अलावा बाहरी लोगों के खेती और बागवानी के लिए जमीन खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह निर्णय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया. 

प्रतिबंध सिर्फ खेती और बागवानी की जमीन पर

उत्तराखंड सरकार द्वारा गई जानकारी के अनुसार, यह अंतरिम प्रतिबंध सिर्फ खेती और बागवानी की जमीन पर लगाया है. इस प्रतिबंध की मदद से राज्य के निवासियों के हित सुरखित रखे जा सकेंगे. साथ ही एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो कि जमीन से संबंधित कानूनों पर अपनी रिपोर्ट सरकार को देंगे. सभी जिलों के डीएम को निर्देश दिए गए हैं कि वो किसी अन्य राज्य के निवासी को कृषि या बागवानी के लिए जमीन की बिक्री की मंजूरी न दें. 

डीएम की मंजूरी से खरीद सकते थे जमीन

साल 2024 में उत्तर प्रदेश जमींदारी अबोलेशन एंड लैंड रिफॉर्म एक्ट, 1950 की धारा 154 में बदलाव किया गया था. इसके मुताबिक, 12 सितंबर, 2003 से पहले जिन लोगों की राज्य में संपत्ति नहीं थी, वह डीएम की मंजूरी से कृषि या बागवानी के लिए जमीन खरीद सकते हैं. अब इसी पर रोक लगा दी गई है. उत्तराखंड सरकार ने कहा कि लोगों और प्रदेश के हित में यह फैसला लिया गया है. 

खरीदार का बैकग्राउंड और कारणों की भी जांच चलती रहेगी 

नए वर्ष पर मीडिया से बात करते हुए पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि पिछले साल मई में हमने निर्णय लिया था कि जमीन के किसी भी सौदे से पहले खरीदार का बैकग्राउंड चेक किया जाएगा. साथ ही जमीन खरीदने के कारणों की भी जांच की जाएगी. अब हमने कृषि भूमि की बिक्री पर रोक लगा दी है. बाकी सभी सौदों के लिए वेरिफिकेशन जारी रहेगा. 

पांच सदस्यीय समिति का किया जा चुका है गठन 

सरकार ने 22 दिसंबर, 2023 को एडिशनल चीफ सेक्रेटरी राधा रतूड़ी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय भूमि कानून समिति का गठन भी कर दिया था. 24 दिसंबर को देहरादून में एक रैली निकालकर 1950 को डॉमीसाइल कट ऑफ डेट घोषित करने और हिमाचल प्रदेश जैसे कड़े भूमि कानून बनाने की मांग की गई थी.

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