अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए हिंदुजा ग्रुप का रास्ता क्लियर

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Reliance Capital: अनिल अंबानी की भारी कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल के नए मालिक का नाम सामने आ गया है. हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड की नई मालिक होगी. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण) ने रिलायंस कैपिटल के लिए 9,650 करोड़ रुपये की इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स की समाधान योजना को मंजूरी दे दी है.

इंसॉल्वेंसी रेसॉल्यूशन प्रोसेस के तहत दिया आदेश

मुंबई की दिवालियापन अदालत ने इंसॉल्वेंसी रेसॉल्यूशन प्रोसेस या दिवालिया समाधान प्रक्रिया के जरिए रिलायंस कैपिटल के एडमिनिस्ट्रेशन की दायर की गई एक एप्लीकेशन को अनुमति दे दी. इसमें अनिल अंबानी प्रमोटेड कंपनी के अधिग्रहण के लिए हिंदुजा समूह को आखिरकार मंजूरी दे दी गई. ये मामला लंबे समय से पेंडिंग था.

एक मॉनिटरिंग कमिटी बनाई जाएगी

मुंबई की एनसीएलटी कोर्ट में जस्टिस वीरेंद्र सिंह बिष्ट और टेक्निकल मेंबर प्रभात कुमार की बेंच ने मौखिक आदेश में कंपनी के प्लान को मंजूरी दे दी है और फिलहाल विस्तृत आदेश का इंतजार है. इस प्लान की निगरानी के लिए एक मॉनिटरिंग कमिटी बनाई जाएगी जबकि सुप्रीम कोर्ट में टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स और हिंदुजा ग्रुप की बोली के बीच में विवाद अभी चल रहा है.

जून में हुआ था ये फैसला

एनसीएलटी की मुंबई बेंच ने जून 2023 में कर्ज में दबी आर कैपिटल के लिए बोली के दूसरे दौर में आईआईएचएल (इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड) के पेश किए प्लान को मंजूरी दी थी. हिंदुजा ग्रुप की कंपनी को पिछले साल जून में मॉनिटरिंग कमिटी के जरिए 9661 करोड़ रुपये की एडवांस कैश बोली के लिए चुना गया था. रिलायंस कैपिटल का अतिरिक्त 500 करोड़ रुपये का कैश बैलेंस भी कर्जदाताओं (लैंडर) के पास जाएगा. 

क्या है सारा मामला

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नवंबर 2021 में अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप की कंपनी रिलायंस कैपिटल में एडमिनिस्ट्रेटिव मुद्दों और पेमेंट डिफॉल्ट करने के बाद बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को हटा दिया था. भारतीय रिजर्व बैंक ने नागेश्वर राव वाई को एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया था. इन्होंने आर-कैप का अधिग्रहण करने के लिए फरवरी 2022 में बोलियां मंगवाई थीं. 

रिलायंस कैपिटल पर 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज था और चार आवेदकों ने शुरू में एक साथ बोली लगाई थी. हालांकि, लेनदारों की समिति ने कम बिड के चलते सभी चार प्लान को खारिज कर दिया. इसके बाद एक चैलेंज मैकेनिज्म शुरू किया गया जिसमें आईआईएचएल और टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने हिस्सा लिया.

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