अजा एकादशी से मिलता है खोया धन, पद और सुख, जानें ये कथा और महत्व

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Aja Ekadashi 2023 Kab Hai: भाद्रपद माह की अजा एकादशी का व्रत 10 सितंबर 2023 रविवार को रखा जाएगा. इस दिन श्रीहरि विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो लोग अजा एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें अश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य प्राप्त होता है.

इस व्रत से व्रती की रुठी खुशहाली दोबार लौट आती है. शास्त्रों में कहा गया है कि अजा एकादशी व्रत का कथा सुनने मात्र से व्यक्ति के बुरे दिन जल्द खत्म हो जाते हैं, घर में अन्न, धन की कमी नहीं होती.

अजा एकादशी 2023 मुहूर्त (Aja Ekadashi 2023 Puja muhurat)

भाद्रपद कृष्ण एकादशी तिथि शुरू – 09 सितंबर 2023 को रात 09 बजकर 17

भाद्रपद कृष्ण एकादशी तिथि समाप्त – 10 सितंबर 2023 को रात 09 बजकर 28

  • पूजा मुहूर्त – सुबह 07.37 – सुबह 10.44 (10 सितंबर 2023)
  • व्रत पारण – सुबह 06.04 – सुबह 08.33 (11 सितंबर 2023)

अजा एकादशी कथा (Aja Ekadashi Katha)

पौराणिक काल में अयोध्या नगरी में एक चक्रवर्ती राजा का राज था, जिन्हें सत्यवादी राजा हरिचंद्र के नाम से जाना जाता था. एक समय ऐसा आया कि राजा हरिशचंद्र को अपना राजपाठ गंवाना पड़ गया. परिस्थितिवश उसका परिवार पत्नी, पुत्र भी उससे अलग हो गए.  हालात इतने बुरे हो गए कि उसे एक चांडाल के यहां दास बनकर काम करना पड़ा.

सत्यवादी राजा हरिशचंद्र ने खोया राजपाठ

राजा हरिशचंद्र ने चाण्डाल के यहाँ कफन लेने का काम किया, लेकिन उसने इस काम में भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा. सालों बीत गए, एक बार उसे अपने इस नीच कर्म पर बड़ा दुख हुआ और वह इससे मुक्त होने का उपाय खोजने लगा. राजा उदास बैठे थे तभी उधर से गौतम ऋषि का आना हुआ. राजा ने गौतम ऋषि को पूरी व्यथा सुनाई और उनसे उपाय पूछा.

अजा एकादशी व्रत से मिला धन, पद, सुख

महर्षि गौतम ने राजा हरिशचंद्र को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी का व्रत करने का कहा. राजा ने विधि पूर्वक इस व्रत को किया और इस व्रत के प्रभाव से राजा के सभी पाप नष्ट हो गए और उन्हें पुनः अपने राज्य की प्राप्ति हुई. पत्नी और पुत्र का साथ मिल गया. जीवन के अंत में उसे परिवार सहित स्वर्ग स्थान प्राप्त हुआ. 

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